प्यार क्या होता है हिंदी में | What is Love in Hindi

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love का हिंदी मतलब प्यार होता है। प्यार को हम सब कभी कभी महसूस करते है। प्यार क्या होता है (what is love in Hindi) और सच्चा प्यार क्या होता है (What is True Love in Hindi)? चलिए जानते है।

प्यार को कोई भी शब्दों में नहीं बता सकता है। इस प्यार को बस महसूस किया जा सकता है। प्यार को बस इंसान ही नहीं बल्कि इस प्यार को जानवर भी महसूस करते है।

यह प्यार ही किसी को पागल दीवाना तो किसी को कामियाब बना देता है। कुछ लोग इस प्यार को सही मानते है तो कुछ लोग इस प्यार बुरा मानते है।

बस फर्क यह है की हम किससे और कैसे प्यार करते है। प्यार किसी से भी हो सकता है। चलिए इस पोस्ट में हम जानते है कि प्यार क्या होता है (What is Love in Hindi) और सच्चा प्यार क्या होता है?

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प्यार क्या होता है? What is Love in Hindi

प्यार एक फीलिंग यानी भावना होता है। इस भावना को तब महसूस किया जा सकता है जब कोई प्यार करता है। प्यार का भावना (feeling) सभी दूसरी भावना में काफी बड़ी और काफी बेहतरीन होती है। प्यार की भावना को दिमाग नियंत्रण करता है।

इस भावना में इंसान खो सा जाता है। प्यार करने वाले को बस वह व्यक्ति या वस्तु ही हर जगह नजर आती है, जिससे वह प्यार करता है।

(Pyaar) प्यार कहने को एक भावना होती है लेकिन प्यार और सभी दूसरी भावना से बड़े होती है।

प्यार किससे होती है?

प्यार किसी से भी हो सकती है। एक लड़के को प्यार एक लड़की से हो सकता है तो वही एक लड़की को भी लड़के से हो प्यार सकता है।

वही एक संत को ईश्वर से प्रेम होता है। एक माँ को उसके बच्चे से प्यार यानी प्रेम हो सकते है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो किसी को भी किसी व्यक्ति या वस्तु से प्रेम हो सकता है।

किसी से हम प्यार सोच कर नहीं कर सकते है। प्रेम तो खुद ही हो जाता है। किसी से प्यार होने में दिमाग में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया जिम्मेदार होती है।

हम आपको बता दे कि उम्र के हिसाब से इंसान के अंदर प्रेम का बदलाव आता रहता है। एक इंसान जिस चीज से बचपन में प्यार करता है, उस चीज से वह जवानी में भी प्यार नहीं करता है।

इसलिए कहा जाता है कि समय के साथ प्यार भी बदलता रहता है। लेकिन कुछ प्रेम ऐसे भी होते है जो समय के साथ कभी नहीं बदलते है।

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प्यार कैसे होता है?

what is love in hindi

प्यार होने का कारण और जिम्मेदार हमारा दिमाग ही होता है। हमारा दिमाग ही तय करता है कि हम कब और कैसे प्यार करेंगे।

दिमाग के साथ दिल का भी प्यार का कारण माना जाता है। किसी चीज या व्यक्ति से प्यार होने का कारण उस चीज या वस्तु में कुछ ऐसी खासियत हो सकती जो हमें पसंद आए।

प्यार होने का कारण जरूरत भी हो सकते है, जो आपके प्यार करने वाले के पास हो। इसके साथ ही प्यार करने होने का कारण भावना भी हो सकता है। यह भावना नई या पुरानी भी हो सकती है।

किसी व्यक्ति या वस्तु से प्यार होने के बहुत से कारण हो सकते है। जैसे एक छात्र को उसके पढ़ाई से प्रेम का कारण ज्ञान लेना और कामियाब होना हो सकता है।

वही एक लड़के और लड़की का प्रेम का कारण दिमागी तौर अपनी नसल को आगे बढ़ाना। वही लकड़ा लड़की का प्रेम का कारण कुछ और भी हो सकता है।

एक संत को ईश्वर से प्रेम का कारण भक्ति और स्वर्ग, या कुछ और भी हो सकता है।

प्यार कब होता है?

प्यार होने का कोई उम्र नहीं होता है। प्रेम कभी भी और किसी भी उम्र हो सकता है। एक बच्चे को खिलौना से प्यार होता है तो वही एक छात्र को उसके पढ़ाई से प्यार होता है।

उम्र के साथ प्यार करने वाला वस्तु या व्यक्ति बदल सकता है। प्यार करने के लिए उम्र की जरूरत नहीं होती है।

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प्यार अच्छा या बुरा होता है?

प्यार एक भावना होता है और यह भावना सभी अन्य भावना से बहुत ही बड़ा और ताकतवर होता है। इस प्रेम के भावना में एक इंसान कुछ भी कर सकता है।

ऐसा माना जाता है कि प्यार अँधा होता है। प्यार को अंधा इसलिए कहा जाता है क्योंकि प्यार होने के बाद दिमाग काम नहीं करता है।

प्यार होने पर सही कर रहे है या गलती कुछ लोगो को समझ नहीं आता है। अब हम बात करते है कि प्यार अच्छा होता है या बुरा।

प्यार का अच्छा या बुरा होना बस इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस से प्यार कर रहे है। हम जिससे प्यार कर रहे है क्या वह हमारे लिए अच्छा है या बुरा।

अगर हम एक वस्तु से प्यार कर रहे है तो अगर वह वस्तु हमारे लिए अच्छा है तो हमारा प्रेम भी अच्छा ही होगा। जैसे किताबो से प्यार करना।

वह हम ऐसे वस्तु से प्रेम कर रहे है जो हमारे लिए बुरा है तो वह प्रेम बुरा ही होगा। जैसे मोबाइल या बुरी आदतों से प्रेम करना। वैसे ही व्यक्ति के अच्छे या बुरे होने पर प्रेम अच्छा या बुरा ही सकता है।

प्यार के कितने प्रकार होते है?

मुख्य तौर पर प्यार (प्रेम) चार (4) प्रकार के होते है।

  • दया का प्रेम
  • मोह लेने वाला प्रेम
  • निस्वार्थ प्रेम
  • ईश्वर और भक्त का प्रेम

दया प्रेम वह प्रेम होता है जो हमें किसी के लाचारी या मज़बूरी पर प्रेम होता है। इस प्रेम में हम उस व्यक्ति की मदद करने का प्रेम रखते है। जैसे एक गरीब से उसके गरीबी के कारण प्रेम होना।

मोह लेने वाला प्रेम एक लड़का और एक लड़की में ज्यादा तर होता है। इस प्रेम में लड़का लड़की के किसी ख़ासित के कारण प्रेम करता है और वह खासियत उस लड़के का मन मोह लेता है।

वही एक लड़की को भी लड़के से इसी कारण ऐसा प्रेम होता है। मन को मोहने वाला प्रेम किसी वस्तु से भी हो सकता है।

निस्वार्थ प्रेम काफी कम लोग ही करते है। इस प्रेम को करने वाला व्यक्ति अपना सब कुछ उस व्यक्ति के लिए कुर्बान कर देता है जिससे वह प्रेम करता है।

इस निस्वार्थ प्रेम को सच्चा प्रेम भी कहा जाता है। आमतौर पर यह प्रेम माता-पिता अपने बच्चे से करते है। इस प्रेम में प्रेम के बदले प्रेम की मांग नहीं किया जाता है।

ईश्वर और भक्त का प्रेम। यह प्रेम एक भक्त अपने ईश्वर से करता है। इस प्रेम में भक्त ईश्वर के बताये हुए हर एक काम को करने को तैयार रहता है।

इस प्रेम में भक्त के ऊपर निर्भर करता है की वह अपने ईश्वर से किसी चीज के लिए प्रेम करता है। या फिर भक्त ईश्वर से निस्वार्थ प्रेम करता है।

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अंत में

प्यार या प्रेम एक भावना है। यह भावना हमारे दिमाग में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया पैदा होता है। प्यार में सबसे ज्यादा योगदान दिमाग का होता है। प्रेम किसी भी व्यक्ति या वस्तु से हो सकता है। प्रेम की परिभाषा सभी के लिए अलग-अलग होता है।

सच्चा प्रेम उस प्रेम को कहते है जो प्रेम निस्वार्थ किया जाए। हमें अपने सवाल प्यार क्या होता है (What is Love in Hindi) इसका जवाब मिल गया।

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